कल रात ह्मने एक सपना देखा है
हमने सपने मे देखा की मै दूसरे प्ल्नेट पर गया हूँ और ह्म इतने डेवलप कर गये हैं की एक एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर जाने मे बहुत ही कम समय लगता है बस कुछ हीं मिनट
वहाँ ह्मने देखा की इस धरती के कई लोग वहाँ रहते हैं और पूरे ग्रह पर सिर्फ़ एक हीं भाषा बोली जाती है इंसान तो इंसान जानवर भी हमसे हमरी भाषा मे बाते कर रहे हैं वहाँ पर कुछ अजीब किस्म के जीव भी देखने को मिले
किसी का धर इंसान का और सर जानवर का , किसी का धर जानवर का तो सर इंसान का ,
और भी कई विचित्रा जीव देखने को मिले जंगल नदियाँ पक्षी सब के सब विचित्र और यहाँ के अपेक्षा वहाँ शांति बहुत है
लोग शुकून से रहते हैं
किंतु जब मैं उपर आसमान की तरफ देखता हूँ तो मेरे आश्चर्या की सीमा ना रही मैं देखता हूँ की आसमान मे एक नही कई सूर्य दिख रहे हैं जब मैने गिनती चालू की तो एक - दो - तीन ------पूरे १० सूर्या अब मैं सोचने लगा की वहाँ हमारे यहाँ एक सूर्य ही काफ़ी है और गर्मी के दिनो मे कितनी अधिक गर्मी लगती है और यहाँ १० सूर्य फिर भी ना अधिक गर्मी और ना हीं अधिक सर्दी हाँ प्रकाश इतना आदिक की कहना मुसकील आँख चौंधिया जाए फिर मैने सोचा की रात तो सायद नही होती होगी किंतु मेरा अनुमान एक-दम ग़लत रात भी होती है किंतु वहाँ का हिसाब किताब एक दम अलग है कभी कभी और एक दम छोटी होती है तीन से चार घंटे की वहाँ की दिनचर्या एक दम अलग
अब मैं सोचने लगा की मैं किस लोक मे आ गया हूँ एक दम विचित्र लोक है किंतु और ज़्यादा कुछ पता लगाता उससे पहले सुबह हो चुकी थी और किसी ने मुझे जगा दिया और मैं अपना विमान पकर कर सीधा इस लोक मे आपहुँचा सीधा अपने बिस्तर पे कंबल के नीचे कितु सपना कुछ - कुछ याद था और जो भी याद था उसे मैंने लिख दिया कितु सपने तो कई आते हैं किंतु ये कुछ खास लगा क्यूंकी मैं जो भी रात में सपने देखता हूँ शुबह भूल जाता हूँ कितु ये सपना मुझे याद था और मुझे इस सपने मे कुछ खास लगा मैं बार बार मेरे दिमाग़ मे ये सब घूम रहा है मैं सोच रहा हूँ की क्या ये सब मुमकिन है लगता तो नही किंतु इस अनंत ब्रह्मांड मे कुछ भी मुमकिन हो सकता है क्यूँ की ये अनंत है कहा से सुरू और कहा ख़तम होगा कोई नही जनता हम इस लिए कुछ भी मुमकिन हो सकता है इस अंतरिक्ष मे , हम इसके बारे मे कुछ भी नही जानते भले ही विज्ञान ये दावा करे की हम बहुत कुछ पता लगा लिए हैं कितु सचाई यही है की अभी भी हम इसके बारे मे कुछ नही जानते हैं जो जानते हैं वो बहुत ही अल्प है और हम हमेशा अल्प ही जानेंगे हम अपने हिसाब से भले हीं अधिक जान जाएँ किंतु इस अनंत ब्रह्मांड को हम अल्प हीं जान पाएँगे
ये सब मेरा कल्पना नही था बस इक रात का सपना था किंतु विचित्र था और शायद ये संभव भी हो कितु अभी कुछ कहना मुसकील है
हमने सपने मे देखा की मै दूसरे प्ल्नेट पर गया हूँ और ह्म इतने डेवलप कर गये हैं की एक एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर जाने मे बहुत ही कम समय लगता है बस कुछ हीं मिनट
वहाँ ह्मने देखा की इस धरती के कई लोग वहाँ रहते हैं और पूरे ग्रह पर सिर्फ़ एक हीं भाषा बोली जाती है इंसान तो इंसान जानवर भी हमसे हमरी भाषा मे बाते कर रहे हैं वहाँ पर कुछ अजीब किस्म के जीव भी देखने को मिले
किसी का धर इंसान का और सर जानवर का , किसी का धर जानवर का तो सर इंसान का ,
और भी कई विचित्रा जीव देखने को मिले जंगल नदियाँ पक्षी सब के सब विचित्र और यहाँ के अपेक्षा वहाँ शांति बहुत है
लोग शुकून से रहते हैं
किंतु जब मैं उपर आसमान की तरफ देखता हूँ तो मेरे आश्चर्या की सीमा ना रही मैं देखता हूँ की आसमान मे एक नही कई सूर्य दिख रहे हैं जब मैने गिनती चालू की तो एक - दो - तीन ------पूरे १० सूर्या अब मैं सोचने लगा की वहाँ हमारे यहाँ एक सूर्य ही काफ़ी है और गर्मी के दिनो मे कितनी अधिक गर्मी लगती है और यहाँ १० सूर्य फिर भी ना अधिक गर्मी और ना हीं अधिक सर्दी हाँ प्रकाश इतना आदिक की कहना मुसकील आँख चौंधिया जाए फिर मैने सोचा की रात तो सायद नही होती होगी किंतु मेरा अनुमान एक-दम ग़लत रात भी होती है किंतु वहाँ का हिसाब किताब एक दम अलग है कभी कभी और एक दम छोटी होती है तीन से चार घंटे की वहाँ की दिनचर्या एक दम अलग
अब मैं सोचने लगा की मैं किस लोक मे आ गया हूँ एक दम विचित्र लोक है किंतु और ज़्यादा कुछ पता लगाता उससे पहले सुबह हो चुकी थी और किसी ने मुझे जगा दिया और मैं अपना विमान पकर कर सीधा इस लोक मे आपहुँचा सीधा अपने बिस्तर पे कंबल के नीचे कितु सपना कुछ - कुछ याद था और जो भी याद था उसे मैंने लिख दिया कितु सपने तो कई आते हैं किंतु ये कुछ खास लगा क्यूंकी मैं जो भी रात में सपने देखता हूँ शुबह भूल जाता हूँ कितु ये सपना मुझे याद था और मुझे इस सपने मे कुछ खास लगा मैं बार बार मेरे दिमाग़ मे ये सब घूम रहा है मैं सोच रहा हूँ की क्या ये सब मुमकिन है लगता तो नही किंतु इस अनंत ब्रह्मांड मे कुछ भी मुमकिन हो सकता है क्यूँ की ये अनंत है कहा से सुरू और कहा ख़तम होगा कोई नही जनता हम इस लिए कुछ भी मुमकिन हो सकता है इस अंतरिक्ष मे , हम इसके बारे मे कुछ भी नही जानते भले ही विज्ञान ये दावा करे की हम बहुत कुछ पता लगा लिए हैं कितु सचाई यही है की अभी भी हम इसके बारे मे कुछ नही जानते हैं जो जानते हैं वो बहुत ही अल्प है और हम हमेशा अल्प ही जानेंगे हम अपने हिसाब से भले हीं अधिक जान जाएँ किंतु इस अनंत ब्रह्मांड को हम अल्प हीं जान पाएँगे
ये सब मेरा कल्पना नही था बस इक रात का सपना था किंतु विचित्र था और शायद ये संभव भी हो कितु अभी कुछ कहना मुसकील है