एक बात तो है , जैसा कि मुझे लगता है , ना हम ब्रह्मांड इस ब्रह्मांड से अलग हो सकते हैं और ना ये हमसे अलग हो सकता है। और इस ब्रह्माण्ड को जानने के लिए हमे बाहर नही बल्कि अपनी अंदर झाकना होगा हम खुद इस ब्रह्माण्ड को जान जायेंगे क्यू की हमारा शरीर इस ब्रह्माण्ड का छोटा रूप है। जैसे इस दुनिया में हम पैदा होकर हमे जो भी मिला यही मिला और लास्ट में हम मर कर इसी में मिल जायेंगे , वैसे हि हमारे पैदा होते हि एक नयी दुंनिया की रचना हो जाती है खुद हमारे अंदर कई सारे जीव पल रहे हैं और उनकी दुनिया हम हैं। हमारे साथ वो भी ख़तम हो जायेंगे तो मेरे ख्याल से इस ब्रह्माण्ड को जानने के लिए हमे सुदूर अंतरिक्ष में जाने की जरुरत नहीं है हमें तो बस इस ब्रह्माण्ड की सबसे छोटी चीज को जनना होगा और वही हमे पुरे ब्रह्माण्ड के बारे में बताएगा।।
उस छोटी सी कण में हि समूचे ब्रह्माण्ड का रहस्य छिपा है , और वैसे तो एलियन का जिक्र हमरे ग्रन्थ में भी है जिस पर रिसर्च की आवस्यकता है और जहा तक मुझे लगता है की ये ब्रह्माण्ड किसी और ब्रह्माण्ड के अंदर और वो किसी और ब्रह्माण्ड के अंदर और ये एक सिलसिला है। हो सकता है ये मेरी कल्पना हो या सायद हकीकत। ऐसा भी तो हो सकता है की जीवन के नियम को देखे तो ये ब्रह्माण्ड जीवित है इसमें जान है )
वैसे भविष्य के लीये विज्ञान की चुनौती है वायर लेस इलेक्टीरिक ,बज्रपात की इनर्जी को उपयोग में लाना , पारदर्शी धातु का निर्माण ,ऐसा यन्त्र जो खुद से ऊर्जा उत्पन्न कर सके , एक ऐसे धातु की खोज जो किसी भी तापमान पर नस्ट ना हो , इस जीवन के लिए ऊर्जा के विकल्प यानि की अन्न का विकल्प
इमेज रीडर टेक्स्ट ,यूजर फ्रेंडली कंप्यूटर जो आपकी आवाज सुन कर काम करे ,जो आपके दिमाग को पढ़ सके और फिर काम करे आपके हाव् भाव समझ सके ,कितना बड़ा डेटा हो आसानी से ट्रांसफर हो सके तेजी से ,बिना क्वॉलिटी कम किये फाइल को छोटा किया जा सके ,मैमोरी फूल होने का झंझट न हो